Bharatiya Kala Ka Parichay Bhag-1 class 11 - NCERT - 23: भारतीय कला का परिचय भाग-१ ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
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Résumé
कला के इतिहास का अध्ययन व्यापक प्रलेखन तथा उत्खनन कार्यों के आधार पर विकसित हुआ है इसलिए कलात्मक वस्तुओं का वर्णन इस विषय के अध्ययन का प्रमुख आधार बन गया है। बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में ऐसे बहुत ही… कम उल्लेखनीय अध्ययन किए गए, जहां चिंतन का विषय साधारण वर्णन से आगे बढ़ा हो और अध्ययनकर्ताओं ने वर्णन के अलावा कुछ और भी विवेचन किया हो। अनेक स्मारकों, मूर्तियों और शैलियों का नामकरण तत्कालीन राजवंशों के आधार पर किया गया, जैसे- मौर्य कला या मौर्य कालीन कला, सातवाहन कला, गुप्त कालीन कला आदि। इसके अलावा, कुछ कलाकृतियों के काल का नामकरण धार्मिक आधार पर भी किया गया, जैसे- बौद्ध काल, हिंदू काल और इस्लामिक या मुस्लिम काल। लेकिन इस तरह निर्धारित किए गए नाम, कला की परंपराओं को समझने के लिए उपयोगी नहीं हैं। मध्य युगीन कला और वास्तु संबंधी स्मारकों को अनेकों रूपों में राजवंशों का संरक्षण मिला, लेकिन इससे पहले के ऐतिहासिक काल को भी राजवंशों के नामों से जोड़ दिया गया और वे आज भी प्रचलित हैं। तथापि प्रस्तुत पुस्तक में मानक परंपरागत विवरणात्मक लेखन से परे हटकर कला तथा पुरातत्त्वीय स्मारकों के अपेक्षाकृत अधिक व्यापक विकास का अध्ययन किया गया है और यह बताने का प्रयास किया गया है कि उनके विकास की शैलियाँ क्या थीं और सामाजिक तथा राजनीतिक संबंध कैसे और किसके साथ थे। इस प्रकार यह पाठ्यपुस्तक भारतीय कला के इतिहास के अध्ययन का एक विनम्र प्रयास है।