बच्चों की सही परवरिश में माँ-बाप का बहुत बड़ा हाथ होता है| बच्चों के साथ हमेशा प्रेमपूर्वक व्यवहार ही करना…
चाहिए ताकि उन्हें अच्छे संस्कार प्राप्त हो| माँ-बाप बच्चों का व्यवहार सदैव मित्राचारी का होना चाहिए| यदि माँ-बाप बच्चों के साथ डाट कर या मार कर व्यवहार करेंगे तो बच्चे निश्चित ही उनका कहा नहीं मानेंगे और गलत रास्ते पर चढ जाएँगे| माँ-बाप के उच्च संस्कार ही घर में आनंद और शान्ति का माहौल खड़ा कर सकते है| माता पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चों की मनोस्थिति को जानकार उसके अनुसार उनके साथ वर्तन करे| आज के ज़माने में टीनएजर्स को संभालना अत्यंत मुश्किल हो गया है| किस तरह से माँ-बाप उनके साथ व्यवहार करे ताकि उन्हें अच्छे संस्कार मिले और वह किसी गलत रास्ते पर ना चले, इस बात कि पूरी समझ हमें इस पुस्तक में मिलती है जिसमें दादाजी ने हमें माँ-बाप बच्चों के सम्बन्ध सुधारने के लिए बहुत सारी चाबियाँ दी है|
समलैंगिकता अच्छाइ या बुराइ ? इस यौन वरीयता का स्त्रोत और समाज पर इसके प्रभाव क्या है? क्या यह भगवान…
की मूल योजना में था? या यह प्राकृतिक है ? कौन वास्तव में इसके पीछे है और किस उद्देश्य के लिए है? क्या समलैंगिकों प्रलोभित कर अनदेखी ताकतें फसा रही हैं? और आने वाली पीढ़ियों पर इसका क्या असर होगा? इस मुद्दे पर ईसाई धर्म, इस्लाम, पारंपरिक धर्म आदि के विचार क्या हैं? गुदा और मौखिक सेक्स कितना खतरनाक है - क्या कोई स्वास्थ्य जोखिम? वे गुदा और मौखिक कैंसर या अन्य किसी संक्रमण का कारण बन सकते हैं? समलैंगिकता एक काले जादू का अभ्यास है? ये सभी प्रश्न और अधिक का जवाब देने की कोशिश हम इस पुस्तक में करेंगे ।