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Zindaginama: ज़िन्दगीनामा
Par Krishna Sobti. 2016
लेखन को जीवन का पर्याय माननेवाली कृष्णा सोबती की कलम से उतरा एक ऐसा उपन्यास जो सचमुच ज़िन्दगी का पर्याय…
है—ज़िन्दगीनामा। ज़िन्दगीनामा—जिसमें न कोई नायक। न कोई खलनायक। सिर्फ लोग और लोग और लोग। ज़िन्दादिल। जाँबाज़। लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों गाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे। फिर भी फसलें उगाते रहे। जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटाते रहे। ज़िन्दगीनामा का कालखंड इस शताब्दी के पहले मोड़ पर खुलता है। पीछे इतिहास की बेहिसाब तहें। बेशुमार ताकतें। ज़मीन जो खेतिहर की है और नहीं है, वही ज़मीन शाहों की नहीं है मगर उनके हाथों में है। ज़मीन की मालिकी किसकी है ? ज़मीन में खेती कौन करता है ? ज़मीन का मामला कौन भरता है ? मुजारे आसामियाँ। इन्हें जकडऩों में जकड़े हुए शोषण के वे कानून जो लोगों को लोगों से अलग करते हैं। लोगों को लोगों में विभाजित करते हैं। ज़िन्दगीनामा का कथानक खेतों की तरह फैला, सीधा-सादा और धरती से जुड़ा हुआ। ज़िन्दगीनामा की मजलिसें भारतीय गाँव की उस जीवन्त परम्परा में हैं जहाँ भारतीय मानस का जीवन-दर्शन अपनी समग्रता में जीता चला जाता है। ज़िन्दगीनामा—कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमें कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं। ज़िन्दगीनामा के पन्नों में आपको बादशाह और फकीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँडेरों पर खड़े मिलेंगे। सर्वसाधारण की वह भीड़ भी जो हर काल में, हर गाँव में, हर पीढ़ी को सजाए रखती है।Samarshankh: समरशंख
Par Namrata Singh. 2022
महाभारत युद्ध समाप्त हुए पाँच सौ वर्ष बीत चुके थे। धरती पर अन्याय, अशांति और अधर्म का वातावरण व्याप्त हो…
चुका था। सम्पूर्ण आर्यावर्त मनुष्यों के अधिकार में था। तक्षक नाग के वंशज आश्रयहीन हो चुके थे। पक्षीराज जटायु के वंशज गरुड़, कलियुग के प्रारम्भ में अत्यधिक शक्तिशाली हो गए और उन्होंने धरती पर बचे-खुचे नागों का संहार करना प्रारम्भ किर दिया। मनुष्यों और गरुड़ों के पास एक अपराजेय महायोद्धा था, जिसके नाम से असुर और नाग थर-थर कांपते थे। नागों को भी एक महावीर योद्धा की तलाश थी और एक दिन अचानक ऐसा एक योद्धा प्रकट हो जाता है। सम्पूर्ण भारतवर्ष उसे ‘नागपुत्र’ कहकर बुलाने लगता है। उस नागपुत्र के परिचय से समस्त गरुड़ जाति कांप उठती है। समरशंख फूँक दिया जाता है और एक भयानक और भीषण महायुद्ध का प्रारम्भ हो जाता है।Sadguru: सद्गुरु
Par Arundhathi Subramaniam. 2018
यह पुस्तक सद्गुरु की प्रेरणागाथा है- वह असाधारण दिव्यपुरुष; जो युवावस्था में ही ईश्वर को जानने के लिए तत्पर हो…
उठे; मोटरसाइकिलों का शौकीन; जो जीवन के रहस्य खोजने के लिए उद्यत हो उठे; संशयवादी होने के बावजूद आध्यात्मिक सत्पुरुष बन गए। बाल्यकाल में जग्गी वासुदेव (जो अब सद्गुरु के नाम से वियात हैं) उच्छृंखल स्वभाव के थे; कक्षा छोड़कर भाग जाना; हुड़दंग करना; चुहलबाजी करना उनकी प्रकृति में था; बाद में उन्हें मोटरसाइकिल और रेसिंग गाडि़यों का शौक हो गया। उनकी आध्यात्मिक यात्रा में इस तेजी और तत्परता को सहज ही अनुभव किया जा सकता है। ऐतिहासिक ‘ध्यानलिंग’ की स्थापना किसी जिद्दी; हठधर्मी व्यति के द्वारा ही किया जाना संभव था; और सद्गुरु ने वह कर दिखाया। सद्गुरु का विश्वास है कि आस्था; आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे से जुडे़ हैं। इनके समन्वय मात्र से ही मानव का कल्याण होगा; सद्गुणों के विकास के लिए प्रत्येक व्यति को सतत सक्रिय होना होगा। सद्गुरु के साथ लंबी बातचीत और उनके अनुयायियों तथा शिष्यों के साथ साक्षात्कारों के आधार पर अरुंधती सुब्रह्मण्यम द्वारा तैयार की गई यह पुस्तक एक जीवंत किंवदंती ‘सद्गुरु’ का जीवनवृ प्रस्तुत करती है। सद्गुरु की त्वरित मेधा; अद्भुत वाक्पटुता और आधुनिक शद-संपदा से सज्जित यह पुस्तक आपके आध्यात्मिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करेगी और आपके जीवन की दिशा बदल देगी।Post Box Number 203 Nala Sopara: पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा
Par Chitra Mudgal. 2022
हिन्दी साहित्य जगत में अपनी अप्रतिम जगह बना चुकी वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल का यह उपन्यास विनोद उर्फ बिन्नी उर्फ…
बिमली के बहाने हमारे समाज में लम्बे समय से चली आ रही उस मानसिकता का विरोध हैजो मनुष्य को मनुष्य समझने से बचती रही है। जी नहींयह अमीरगरीब का पुराना टोटका नहींमहज शारीरिक कमी के चलते किसी इंसान को असामाजिक बना देने की क्रूर विडम्बना है। अपने ही घर से निकाल दिए गए विनोद की मर्मांतक पीड़ा उसके अपनी बा को लिखे पत्रों में इतनी गहराई से उजागर हुई है कि पाठक खुद यह सोचने पर विवश हो जाता है कि क्या शब्द बदल देने भर से अवमानना समाप्त हो सकती है गलियों की गाली हिजड़ाको किन्नरकह देने भर से क्या देह के नासूर छिटक सकते हैं। परिवार के बीच से छिटककर नारकीय जीवन जीने को विवश किए जाने वाले ये बीच के लोगआखिर मनुष्य क्यों नहीं माने जाते। आजजबकि ऐसे असंख्य लोगों को समाज में स्वीकृति मिलने लगी हैहमारी संसद भी इस संदर्भ में पुरातनपंथी नहीं रही हैक्या यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि परिवार व समाज अपनी सोच के मकड़जाल से बाहर निकल आएंगेठीक उसी तरह जैसे इस उपन्यास के मुख्य चरित्र की मां वंदना बेन शाह अपने बेटे से घर वापसी की अपील करते हुए एक विस्तृत माफीनामा अखबारों में छपवाती है। यह अपील एक व्यक्ति भर की न रहकरसमूचे समाज की बन जाएयही वस्तुत: कथाकार की मूल मंशा है। एक एक्टिविस्ट रचनाकारकैसे अपनी रचना में मूल सरोकार के प्रति समर्पित हो सकता हैयह इस अनोखे और पठनीय उपन्यास की भाषा बताती है। यहां समाज की हर सतह उघड़ती है और एक नयी रचनात्मक सतह बनने को आतुर है।Personality Plus: पर्सनैलिटी प्लस
Par Florence Littauer. 2007
पर्सनैलिटी प्लस में फ़्लोरेंस लिटार आपको ऐसी बहुमूल्य जानकारी देती हैं, जिससे आप अपने अनूठे व्यक्तित्व को आसानी से पहचान…
सकते हैं। इस पुस्तक में एक पर्सनैलिटी प्रोफ़ाइल टेस्ट भी दिया गया है। यह टेस्ट आपके गुणों के उस अनूठे सम्मिश्रण के बारे में बताएगा, जो आपकी भावनाओं, काम करने की क्षमता और संबंधों को प्रभावित करता है। मज़ेदार क़िस्सों और सटीक सुझावों के माध्यम से पर्सनैलिटी प्लस आपकी शक्तियों को बढ़ाने तथा कमजोरियों को सुधारने का मार्गदर्शन देती है। इस रोचक पुस्तक में आपके आस-पास के लोगों को समझने का तरीक़ा भी बताया गया है। आप यह जान जाएँगे कि किन गुणों के कारण हर व्यक्ति भिन्न होता है। पर्सनैलिटी प्लस को पढ़ने के बाद आपका जीवन निश्चित रूप से बेहतर और अधिक आनंददायक बन सकता है।Paryavaran Shikshan: पर्यावरण शिक्षण: भारत में रुझान एवं प्रयोग
Par Chong Shimray. 2018
यह पुस्तक पर्यावरण शिक्षा में बुनियादी समझ के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने के लिए मूल्यवान दिशानिर्देश भी…
प्रदान करती है। पर्यावरण शिक्षा शिक्षण: भारत में रुझान और प्रथाएं अध्ययन के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं को समझाने और भारतीय स्कूल पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा को शामिल करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है। यह स्कूली पाठ्यक्रम में एक आवश्यक घटक के रूप में पर्यावरण शिक्षा के महत्व को स्थापित करता है और नीतियों और रणनीतियों के सफल विकास और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण रोड मैप का सुझाव देता है। ऐसा करने में, पुस्तक पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन के बीच महत्वपूर्ण संबंधों को भी स्पष्ट करती है और शिक्षा कैसे सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।Mera Desh Mere Log: मेरा देश मेरे लोग
Par Amit Khan. 2022
डॉक्टर मानिक शाह ने बेपनाह दौलत कमाने के लिये चीन जाने का फैसला किया, लेकिन वह फैसला डॉक्टर मानिक शाह…
को हद से ज्यादा महंगा पड़ा। कैदी बनकर रह गया मानिक शाह चीन में। उसे अपना देश, अपने लोग याद आने लगे। वो हिन्दुस्तान पहुँचने के लिये त्राहि-त्राहि कर उठा। और तब उसे हिन्दुस्तान वापस लाने के लिये कमांडर करण सक्सेना चीन जा पहुँचा। फिर जो कुछ हुआ, वो दहला देने वाला था। एक के बाद एक दिमाग की नसों को झंझोड़ देने वाली ऐसी हैरतअंगेज योजनायें, जो आपने पहले कभी हिन्दी के जासूसी उपन्यासों में नहीं पढ़ी होंगी। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।Mansarovar Bhag 8: मानसरोवर भाग ८
Par Premchand. 2012
प्रेमचंद ने 14 उपन्यास व 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया…
है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।Mansarovar Bhag 7: मानसरोवर भाग ७
Par Premchand. 2012
प्रेमचंद ने 14 उपन्यास व 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया…
है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।Mansarovar Bhag 6: मानसरोवर भाग ६
Par Premchand. 2012
प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया है। इनमें से…
अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।Dohri Chaal: दोहरी चाल
Par Amit Khan. 2022
दुश्मन के एक बेहद खतरनाक फौजी किले की कहानी। वाकई इस बार बड़ा अजीबोगरीब मामला था। इस बार वो मिशन…
था ही नहीं, जो बताया गया था। सब कुछ रहस्य के गहरे महासागर में छुपा था। आखिर असली मिशन क्या था? दिल की धड़कनों को थाम दे, भीषण प्रकम्पन्न पैदा कर दे- ऐसे विलक्षण मूड में ‘कमांडर करण सक्सेना’ का बेहद तेज़रफ़्तार उपन्यास।Dhan-Sampatti Ka Manovigyan: धन-संपत्ति का मनोविज्ञान
Par Morgan Housel. 2021
धन का प्रबंधन, निवेश और उद्यम संबंधी निर्णय लेना ऐसे विषय माने जाते हैं जिनमें आमतौर पर काफी गणितीय हिसाब…
किताब होता है, जहाँ डेटा और फ़ॉर्मूले हमें बताते हैं कि आखिर क्या करना है। लेकिन वास्तविक संसार में, लोग वित्तीय निर्णय स्प्रेडशीट पर नहीं लेते। वे खाने की मेज पर या किसी सभाकक्ष में उन्हें बनाते हैं, जहाँ व्यक्तिगत इतिहास, संसार के प्रति आपका अद्वितीय दृष्टिकोण, अहंकार, अभिमान, मार्केटिंग, और विचित्र प्रेरक साथ में उलझे होते हैं। धन-संपत्ति के मनोविज्ञान में लेखक ने 19 लघु कहानियाँ प्रस्तुत की हैं, जो धन के बारे में लोगों की विचित्र सोच का समन्वेषण करती है, और साथ ही आपको सिखाती हैं कि आप किस प्रकार जीवन के इस सवाधिक महत्वपूर्ण पहलू को बेहतर रूप से समझ सकते हैं।Deep Work: डीप वर्क
Par Cal Newport. 2020
'जिस तरह स्वचालन (ऑटोमेशन) और बाहरी स्रोत (आउटसोर्सिंग) हमारे कार्यक्षेत्र को एक नया रूप दे रही हैं, ऐसे में वे…
कौन से नए कौशल हैं, जिनकी हमें ज़रूरत हैं? कैल न्यूपोर्ट की यह दिलचस्प किताब न सिर्फ एक विचलन-रहित वातावरण में गहन एकाग्रता से हमारा परिचय कराती है बल्कि हमें उस तक पहुँचने का मार्ग भी दिखाती है। इस गहन एकाग्रता के परिणामस्वरूप हमारे सीखने की गति तेज हो जाती है और हमारा प्रदर्शन सशक्त हो जाता है। इसे अपने मस्तिष्क के व्यायाम के रूप में देखें और आज से ही यह व्यायाम शुरू करें।' 'यह किताब गहन एकाग्रता की क्षमता विकसित करने के पक्ष में ठोस तर्क देती है और इसके लिए ऐसे कदम सुझाती है, जो फौरन उठाए जा सकते हैं।' 'कैल न्यूपोर्ट भारी शोरगुल के बीच एक स्पष्ट सुनाई देने वाली आवाज हैं, जिनके काम में विज्ञान और जोश, दोनों का संगम है। हमें और अधिक क्लिक्स व इमोजीस (वेब पेजों में उपयोग किए जानेवाले स्माइली) की ज़रूरत नहीं है। हमें बहादुरी भरे काम की ज़रूरत है। ऐसा काम तभी संभव होता है, जब हम सच्चाई को नज़रअंदाज करने से इंकार कर देते हैं।' 'इंसान की मानसिक शक्तियों को दोबारा सक्रिय करने के लिए कैल न्यूपोर्ट जितने व्यावहारिक, दक्ष और जानकारियों से भरपूर सुझाव देते हैं, मैंने उतने कारगर सुझाव देते हुए किसी और को नहीं देखा।' 'अगर आपको लगता है कि आप यह सब पहले से जानते हैं, तो गहन कार्य अपनी अनूठी और उपयोगी अंतदृष्टियों से आपको आश्चर्यचकित कर देगी। दरअसल इस किताब की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए इसमें प्रस्तुत नियम-3 ही काफी है, जो कोई भी लाभ काफी है दृष्टिकोण पर चर्चा करता है।'Bharat Ki Aantarik Suraksha Evam Aapda Prabandhan: भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन
Par Aman Kumar Ips Udaybhan Singh. 2018
प्रस्तुत पुस्तक ‘भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन’ संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा हेतु लिखी गई है।…
यह पुस्तक भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन से संबद्ध समस्त अवधारणाओं का निष्पक्षत व सरल भाषा में विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें संगाठित अपराध, आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर अपराध, कालाधन, मनी लांड्रिंग, हवाला कारोबार, कश्मीर समस्या, सांप्रदायिकता इत्यादि ज्वलंत विषयों पर विश्लेषणात्मक सामग्री प्रस्तुत की गई है। प्रमुख विशेषताएँ भारत की आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न पक्षों पर सटीक व विश्लेषणात्मक सामग्री आपदा प्रबंधन पर एक समग्र अवलोकन। मानचित्रों के द्वारा तथ्यों का सरल प्रस्तुतीकरण।Bhagat Singh Aur Unke Sathiyon Ke Dastavez: भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज
Par Jagmohan Singh, Chaman Lal. 2014
भगत सिंह की विचारधारा और उनकी क्रान्तिकारिता के ज्वलन्त प्रमाण जिन लेखों और दस्तावेजों में दर्ज हैं, वे आज भी…
पूर्ववत् प्रासंगिक हैं, क्योंकि 'इस' आजादी के बाद भी भारतीय समाज उस आजादी से वंचित है, जिसके लिए उन्होंने और उनके असंख्य साथियों ने बलिदान दिया था। हिन्दी में पहली बार प्रकाशित यह कृति भगत सिंह के भावनाशील पत्रों, विचारोत्तेजक लेखों, ऐतिहासिक दस्तावेजों, वक्तव्यों तथा उनके साथियों और पूर्ववर्ती शहीदों की कलम से निकले महत्वपूर्ण विचारों की ऐसी प्रस्तुति है जो वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों की बुनियादी पड़ताल करने में हमारी दूर तक मदद करती है। यह पुस्तक भगत सिंह की विचारधारात्मक भूमिका की समग्रतः हमारे सामने रखती है।Agnirathi Niyam aur Dand: अग्निरथी: नियम और दण्ड
Par Akash Pathak. 2022
अग्निरथी: नियम और दण्ड लेखक – आकाश पाठक नियमों के विरुद्ध मंत्र विद्या का प्रयोग करने के कारण कौस्तुभ को…
मिला है दंड। क्या एक अंतहीन मार्ग पर खड़ा कौस्तुभ अपने जीवन को एक नई दिशा दे पायेगा? वर्षाणों के आक्रमण से एक बार पुनः रक्तरंजित हो चुकी है उत्तराँचल की भूमि। अपने अतीत से जूझता अरिदमन क्या इन दुर्दांत हत्यारों को रोक पायेगा? विशाल मरुस्थल के गर्भ से निकला एक प्राचीन रहस्य जो एकद्वीप के वर्तमान और भविष्य पर है संकट। मरुभूमि में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी किस प्रकार जुड़ा है इस रहस्य से? छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा ‘सव्यसाची: छल और युद्ध’ का दूसरा भाग!कम से ज़्यादा हासिल करें: अपने पहले प्रकाशन के बीस वर्षों बाद, 80/20 सिद्धांत दुनिया की सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों में…
शामिल है, जिसे पूरे विश्व में फैले लाखों प्रभावी लोग प़ढते हैं। अब यह पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली और अनिवार्य हो गई है। पहले इसे जिसने भी प़ढा और इस्तेमाल किया, उसे इसका फायदा मिला। भविष्य में, यह उन सभी के लिए एक अनिवार्य साधन बन जाएगी जो सफल होना चाहते हैं। और यह प्रभावशाली है। सहज ज्ञान के विपरीत लेकिन इस व्यापक सच्चाई पर आधारित होने के कारण कि 80% परिणाम 20% कारणों से मिलते हैं, 80/20 सिद्धांत यह दिखाता है कि महज 20% सबसे ज़रूरी बातों पर ध्यान देकर आप बहुत कम समय और प्रयास के साथ बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। इस विस्तृत नए संस्करण में चार ताज़ातरीन अध्याय हैं जो आपको बताते हैं कि कैसे: १. ब़ढते नेटवर्क का इस्तेमाल आप अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। २. इस सिद्धांत के अत्यधिक फायदेमंद 90/10 और 99/1 रूपों का लाभ उठा सकते हैं। ३. अपने अवचेतन मन की मदद से अपने जीवन पर एक परम-प्रभावी और चमत्कारिक रूप से अनुकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ४. पाँच परम नियमों को अपनाकर और अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।Yojana November 2023: योजना नवम्बर २०२३
Par Yojana. 2023
योजना नवम्बर 2023 पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में जी20: पृथ्वी, लोग, शांति और…
समृद्धि के लिए और भारत का बढ़ता प्रभाव: जी20 शिखर सम्मेलन ने भारत को विश्व मंच पर स्थापित किया आदि प्रमुख बिंदु हैं।Yojana January 2024: योजना जनवरी २०२४
Par Yojana. 2024
योजना जनवरी २०२४ पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख बिंदु ईज़ ऑफ डूइंग…
बिज़नेस (कारोबार करने में सुगमता) हैं। योजना के इस संग्रहणीय अंक में, व्यवसायों पर अनुपालन बोझ को कम करने, अधिक निवेश आकर्षित करने और विश्वास-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने में जन विश्वास प्रावधानों का संशोधन अधिनियम की विशिष्टता का वर्णन किया गया है। उपर्युक्त विधायी प्रयास के माध्यम से, नियामक कठिनाइयों को संबोधित करके, पारदर्शिता को बढ़ावा देकर और डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करके अधिक गतिशील और प्रतिस्पर्धी आर्थिक माहौल की स्थितियां बनाई गई हैं। हमें उम्मीद है कि विषय विशेषज्ञों और हितधारकों की अंतर्दृष्टि 'जन विश्वास' नामक इस अभूतपूर्व पहल के बारे में हमारे पाठकों की समझ को व्यापक बनाएगी, जो व्यापार सुगमता के परिदृश्य और देश की उद्यमशीलता की भावना को नया रूप देने के लिए तैयार है।Kurukshetra November 2023: कुरुक्षेत्र नवम्बर २०२३
Par Publications Division. 2023
कुरुक्षेत्र नवम्बर २०२३ पत्रिका का संस्करण ग्रामीण विकास को समर्पित है। पत्रिका में प्रमुख बिंदु ग्रामीण भारत में प्रतिभा हैं।…
संक्षेप में, ज़मीनी स्तर की उद्यमशीलता में ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने और आर्थिक विकास को गति देने की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि इस परिवर्तन के लिए सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। साथ मिलकर, हम ग्रामीण भारत को सशक्त बना सकते हैं, इसकी वास्तविक क्षमता को उजागर कर सकते हैं और सभी के लिए अधिक समावेशी और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।