संस्कृत की रुचिरा शृंखला की तीनों पुस्तकें उपरोक्त वैचारिक आधार पर विकसित की गई हैं। इस शृंखला की पहली पुस्तक…
रुचिरा प्रथमो भागः (पुनरीक्षित संस्करण 2018) आपके सामने प्रस्तुत है। अपने नाम के अनुरूप इसे रुचिकर बनाने का यथासंभव प्रयास किया गया है। पुस्तक-निर्माण का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि संस्कृत के सरल वाक्यों को समझने, बोलने, पढ़ने और लिखने की विद्यार्थियों की क्षमता के विकास में यह सहायक हो। यहाँ संस्कृत भाषा-शिक्षण पर बल है। इस पुस्तक के प्रारंभिक तीन पाठों में ऐसे शब्दों को समेटने का प्रयास किया गया है जो विद्यार्थियों के दैनंदिन जीवन से जुड़े हैं। कुछ रूढ़िबद्ध धारणाओं से अलग हटकर नयी भूमिकाओं में लोगों को दिखाया गया है। यथा चालिका शब्द। इसके साथ दिया गया चित्र अर्थ का विस्तार करते हुए टैक्सी चलाती स्त्रियों को दर्शाता है। यद्यपि सामाजिक रूढ़ियों के कारण उनकी संख्या कम है। कठिन शब्दों का अर्थ-बोध कराने हेतु छात्रों की सुविधा के लिए प्रत्येक पाठ के अन्त में दिया गया शब्दार्थ (संस्कृत-हिन्दी-अंग्रेज़ी) इस पुस्तक की विशेषता है।